कैमिकल खाद,किटनाशक, खरपतवारनाशी अन्य केमिकल आदि काअत्यधिक प्रयोग विनाश कारी है, यह सत्य है, मिट्टी की सेहत,पर्यावरण, जीव जंतुओं के लिए व स्वंय मानव के लिए भी यह सुरक्षित नहीं है।लेकिन रासायनिक का प्रयोग उचित मात्रा में हो तो यह ज्यादा हानिकारक नही है, हरित क्रांति के कारण आज भारत खाद्यान्न उत्पादन,में आज आत्म निर्भर बना इसका श्रेय रासायनिक उर्वरकों को जाता है, ऐसे ही पीली क्रांति,श्वेत क्रांति,गोल क्रांति,नीली क्रान्ति से आज भारत लगभग सभी कृषि व सहयोगी उत्पादन में आत्म निर्भर बन गया है।
समस्या रासायनों का अत्यधिक प्रयोग,उत्पादन बढ़ाने की होड़ में हम यह भी भूल जाते हैं कि यही अनाज हम और हमारा परिवार भी खायेगा,जिसके चलते कैंसर, हार्टअटैक,ब्रेनहैमरेज, आदि खतरनाक बीमारी हमारे जीवन का हिस्सा बन गई।
इस समस्या से निजात दिलाने के लिए पुराने तरीकों को दुबारा प्रयोग में लाने की शुरूआत हो गई जैविक, प्राकृतिक खेती का प्रयोग बढ़ने लगा ।
लेकिन कुछ प्रश्न खड़े होते चले गए
135 करोड़ की जनसंख्या वाले देश को क्या जैविक खेती भोजन दे सकेगी?
क्या कृषि लाभदायक सौदा साबित हो सकता है?
आदि आदि
लेकिन सही मायने में मेरी खोज मेरी ही नही कई रिपोर्ट लगातार एक इशारा और कर रही थीं जो था भोजन की गुणवत्ता,
हमारे भोजन में पोषक तत्वों की कमी बड़ी मात्रा में हो चुकी है। जैविक खेती से हमने जहरमुक्त भोजन तो पाया परन्तु पोषण के मामले में जैविक खेती की स्थिति रासायनिक से ज्यादा खराब हो गई।
हमारे कई जैविक प्रचारकों व जैविक किसानों को मेरी बात गलत लगती है परन्तु मैं नही प्रमाण बोलते हैं कि यह सत्य है।
जैविक खेती में बहुत से तत्व,सहयोगी तत्व व सूक्ष्म पोषक तत्वों की प्राप्ति नही हो पाती है।
फसलों की अच्छी पैदावार के लिए 17 आवश्यक पोषक तत्व चाहिए। इसमें एक भी पोषक तत्व की कमी से फसल उत्पादन प्रभावित हो जाता है। पोषक तत्वों की कमी आने पर पौधों पर इसकी कमी के लक्षण साफ दिखाई देने लगते हैं।
जिसके लिए हम रासायनिक पर नही परन्तु कार्बनिक पदार्थों का प्रयोग कर जहर मुक्त के साथ पोषण युक्त भोजन प्राप्त कर सकते हैं।
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के चलते फ़सलो में कई प्रकार की बीमारियों का प्रकोप हो जाता है, यदि हम सभी पोषक तत्वों को नियंत्रित रखें तो हम अपनी फ़सल को रोगमुक्त व पोषण से भरपूर बना सकते हैं।
इस सिद्धान्त में किसान एक साथ रासायनिक को न छोडे
धीरे धीरे रासायनिक के साथ प्राकृतिक रूप में, जीवों के रूप में कार्बनिक रूप में हम खेती कर सकते हैं।धीरे धीरे रसायन खत्म कर जैविक विधाओं का प्रयोग कर सकते हैं।सूक्ष्म तत्वो के लिए कार्बन स्वरूप का प्रयोग करें,
जैसे
ह्यूमिक
सीबीड
अमीनो
आदि छिड़काव या ड्रेसिंग के रूप में करते रहे।
इस सिद्धान्त से किसानों का उत्पादन कम नही होगा।
सूक्ष्म तत्वो की पूर्ति के लिए बाजार में अनाप शनाप उत्पाद दिखने लगे जिससे किसानों का अधिक धन खर्च हो जाता हैं,।
लाईवा एग्रो तकनीक सर्वश्रेष्ठ है इनके यहाँ महाबली, ब्रह्मास्त्र,सुपर मैजिक, एमिनो एसिड,एमिनो व कई प्रकार के उत्पाद आते हैं जो जैविक दशाओं के मानपर खरे उतरे हैं।
हमने 12 साल के लंबे अनुसंधान के बाद हमे लाईवा तकनीकी से प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों के सहयोग से
विश्व स्तरीय उत्पादों की खोज की है। लाईवा एग्रो के उत्पाद सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति कार्बनिक रूप से करते हैं । जिसके उपयोग के कारण फ़सल स्वस्थ, विष रहित,रोग मुक्त व पोषण युक्त बन जाती है।
आप सभी देश के हर राज्य में, हर जिले में, हर तहसील में, हर गांव में, हर किसान तक लाईवा एग्रो तकनीक पँहुचाकर उन्हें इन क्रांति से लाभान्वित कर सकते हैं।
हम आप सभी के साथ सदैव खड़े हैं।