लाईवा एग्रो तकनीकी के साथ जहर मुक्त व पोषण युक्त खेती अभियान
कैमिकल खाद,किटनाशक, खरपतवारनाशी अन्य केमिकल आदि काअत्यधिक प्रयोग विनाश कारी है, यह सत्य है, मिट्टी की सेहत,पर्यावरण, जीव जंतुओं के लिए व स्वंय मानव के लिए भी यह सुरक्षित नहीं है।लेकिन रासायनिक का प्रयोग उचित मात्रा में हो तो यह ज्यादा हानिकारक नही है, हरित क्रांति के कारण आज भारत खाद्यान्न उत्पादन,में आज आत्म निर्भर बना इसका श्रेय रासायनिक उर्वरकों को जाता है, ऐसे ही पीली क्रांति,श्वेत क्रांति,गोल क्रांति,नीली क्रान्ति से आज भारत लगभग सभी कृषि व सहयोगी उत्पादन में आत्म निर्भर बन गया है।
पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों लाईवा एग्रो विश्वस्तरीय तकनीक द्वारा समाधान
पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों लाईवा एग्रो विश्वस्तरीय तकनीक द्वारा समाधान
आओ बढ़ाये एक कदम विषमुक्त खेती को ओर
लाईवा एग्रो एक कम्पनी ही नही बल्कि, किसान भाइयों को समृद्ध व आत्मनिर्भर बनाने की एक प्रक्रिया है, खेती की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से खाद बनाने की प्रक्रिया है।
लाईवा एग्रो के उत्पाद महाबली, ब्रह्मास्त्र ,सुपर मैजिक, आदि मिट्टी को जहरमुक्त कर प्राकृतिक रूप से बलवान बनाते है।
*सालों रसायनिक खादों, पेस्टिसाइड, फंगीसाइड जिसे जहर की संज्ञा दी गयी है, इसपर नियंत्रित करने की प्रक्रिया है।
फसल की सफेद जड़ों के विकास करके अच्छी ग्रोथ, रोग व कीट मुक्त बनाकर अधिक उत्पादन देने की प्रकिया है।
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जैविक कार्बन को पूरा करती है लाईवा तकनीकी
लाईवा तकनीकी के विश्वस्तरीय उत्पाद मिट्टी में अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से मिट्टी में मौजूद कार्बन जो समाप्त हो चुकी है या समाप्ति की ओर है। मिट्टी को उसका वास्तविक स्वरूप प्रदान करने में सहायक होते हैं। क्या है जैविक वातावरण में मुक्त कार्बन डाई ऑक्साइड को पौधे कार्बन के जैविक रूप जैसे शर्करा, स्टार्च, सेल्यूलोज आदि कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित करते हैं। इस प्रकार प्राकृतिक रूप से पौधों की जड़ों में एवं अन्य पादप अवशेषों में मौजूद कार्बन इन अवशेषों के विघटन के बाद मृदा कार्बन के रूप में संचित होता है। इसे ही मृदा जैविक या जीवांश कार्बन कहा जाता है। जैविक कार्बन के महत्व कार्बन पदार्थ कृषि
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क्या जैविक खेती से पोषण सम्भव है?
आप जो खाना (शाकाहारी-मांसाहारी) खाते हैं, उसमें ही पोषक तत्व कम हो गए हैं। अनाज में पोषक तत्व कम इसलिए हो गए हैं क्योंकि मिट्टी बेदम हो गई है। इसी कुपोषित मिट्टी में उगी फसल खाकर भारत के लोग पेट तो भर रहे हैं, लेकिन कुपोषित भी हो रहे हैं।
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